राजेश शर्मा एक 35 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर था जो बैंगलोर में एक बड़ी कंपनी में काम करता था। उसकी शादी को पांच साल हो चुके थे। उसकी पत्नी प्रिया एक खूबसूरत और समझदार महिला थी जो एक स्कूल में टीचर का काम करती थी।
प्रिया की एक छोटी बहन थी - काव्या, जो 26 साल की थी और अभी-अभी अपनी MBA की पढ़ाई पूरी करके घर लौटी थी। काव्या एक आधुनिक विचारों वाली, स्वतंत्र और महत्वाकांक्षी लड़की थी।
राजेश और प्रिया का घर एक शांत और खुशहाल घर था। वे दोनों एक-दूसरे से बहुत प्यार करते थे और उनका रिश्ता बहुत मजबूत था। लेकिन जब काव्या नौकरी की तलाश में कुछ महीनों के लिए उनके घर आई, तो चीजें बदलने लगीं।
"दीदी, मैं कुछ महीने आपके पास रह सकती हूं? जब तक मुझे बैंगलोर में कोई अच्छी नौकरी नहीं मिल जाती?" काव्या ने फोन पर प्रिया से पूछा था।
"अरे पगली, तू मेरी बहन है। तुझे पूछने की क्या जरूरत है? आ जा।" प्रिया ने खुशी से कहा था।
राजेश भी काव्या के आने से खुश था। वह हमेशा काव्या को अपनी छोटी बहन की तरह मानता था।
जब काव्या घर आई, तो पहले कुछ दिन बहुत अच्छे गुजरे। तीनों साथ में खाना खाते, फिल्में देखते, और weekend पर घूमने जाते। काव्या अपनी दीदी के साथ रसोई में मदद करती और राजेश के साथ उसकी कंपनी के प्रोजेक्ट्स के बारे में बातें करती।
काव्या MBA में मार्केटिंग में स्पेशलाइजेशन किया था और वह बिज़नेस की दुनिया के बारे में बहुत कुछ जानती थी। राजेश को उससे बात करना अच्छा लगता था क्योंकि वह बहुत intelligent और witty थी।
धीरे-धीरे राजेश और काव्या की बातचीत बढ़ने लगी। जब प्रिया स्कूल जाती, तो राजेश work from home करता और काव्या घर पर ही अपने job interviews की तैयारी करती।
"जीजू, आप मेरे resume को एक बार देख सकते हैं?" एक दिन काव्या ने पूछा।
"हां बिलकुल, लाओ दिखाओ।" राजेश ने कहा।
वे दोनों सोफे पर बैठकर laptop में resume देखने लगे। काव्या ने कई सवाल पूछे interview की तैयारी के बारे में। राजेश ने उसकी बहुत मदद की।
"आप बहुत अच्छे हैं जीजू। दीदी बहुत lucky है।" काव्या ने मुस्कुराते हुए कहा।
राजेश थोड़ा सकुचाया, "अरे ऐसी कोई बात नहीं है। तुम मेरी छोटी बहन जैसी हो, तुम्हारी मदद करना मेरा फर्ज है।"
लेकिन कहीं न कहीं राजेश के मन में कुछ अलग सा महसूस होने लगा था। काव्या की उपस्थिति, उसकी हंसी, उसका बोलने का अंदाज - सब कुछ उसे आकर्षित करने लगा था।
उन्हीं दिनों प्रिया के स्कूल में वार्षिक परीक्षाओं का समय आ गया था। वह बहुत व्यस्त हो गई थी। सुबह जल्दी निकलती और शाम को देर से आती। घर आकर भी वह बच्चों के पेपर चेक करने में व्यस्त रहती।
"राजेश, मैं बहुत थक गई हूं। तुम और काव्या dinner कर लो, मैं बाद में कुछ खा लूंगी।" अक्सर प्रिया यही कहती।
ऐसे में राजेश और काव्या साथ में खाना खाते। वे टीवी देखते, बातें करते। काव्या राजेश को अपने कॉलेज के किस्से सुनाती, अपने दोस्तों के बारे में बताती।
"जीजू, आपने कभी दीदी से पहले किसी और से प्यार किया था?" एक दिन काव्या ने अचानक पूछा।
राजेश थोड़ा चौंका, "क्यों पूछ रही हो?"
"ऐसे ही, जानना चाहती थी कि आप दोनों कैसे मिले।"
राजेश ने अपनी और प्रिया की प्रेम कहानी सुनाई। कैसे वे कॉलेज में मिले थे, कैसे दोस्ती हुई और फिर प्यार।
"वाह, कितनी प्यारी love story है।" काव्या ने कहा, लेकिन उसकी आंखों में कुछ और ही भाव था।
एक दिन बारिश हो रही थी। प्रिया स्कूल गई हुई थी। राजेश अपने कमरे में काम कर रहा था। अचानक बिजली चली गई।
"जीजू!" काव्या की आवाज आई।
राजेश बाहर आया तो देखा काव्या बालकनी में खड़ी बारिश देख रही थी।
"कितनी सुंदर बारिश है ना?" उसने कहा।
"हां, बहुत सुंदर है।" राजेश ने जवाब दिया।
वे दोनों कुछ देर चुपचाप बारिश देखते रहे। अचानक काव्या ने कहा, "जीजू, मैं कुछ कहना चाहती हूं।"
"क्या?"
"मुझे एक लड़का पसंद है। लेकिन मैं confused हूं।"
राजेश को थोड़ी राहत मिली। "अच्छा? कौन है वो?"
"वो मेरे कॉलेज का दोस्त है। लेकिन वो शादीशुदा है।" काव्या ने कहा और राजेश की आंखों में देखा।
राजेश सकपका गया। "काव्या, ये गलत है। तुम्हें ऐसा नहीं सोचना चाहिए।"
"मैं जानती हूं जीजू। लेकिन दिल तो दिल है, किसी की नहीं सुनता।" काव्या ने एक अर्थपूर्ण मुस्कान के साथ कहा।
राजेश को समझ आ गया था कि काव्या क्या कहना चाह रही है। वह परेशान हो गया। उसने खुद को संभाला और कहा, "काव्या, तुम बहुत अच्छी लड़की हो। तुम्हें कोई अच्छा, अविवाहित लड़का मिलेगा। किसी और के पति के बारे में सोचना गलत है।"
"लेकिन जीजू..."
"कोई लेकिन नहीं काव्या। मैं तुम्हारा जीजा हूं और तुम मेरी छोटी बहन जैसी हो। ये रिश्ता बहुत पवित्र है।" राजेश ने दृढ़ता से कहा।
काव्या की आंखों में आंसू आ गए। "मुझे माफ करना जीजू। मैं... मैं बहुत confused थी।"
उसी समय प्रिया घर आ गई। "अरे क्या हुआ? काव्या तू रो क्यों रही है?"
"कुछ नहीं दीदी, बस एक job interview में reject हो गई।" काव्या ने झूठ बोला।
प्रिया ने उसे गले लगाया, "अरे पगली, कोई बात नहीं। और भी मौके आएंगे।"
उस दिन के बाद राजेश और काव्या के बीच एक अजीब सी चुप्पी छा गई। वे एक-दूसरे से बात तो करते लेकिन पहले जैसी सहजता नहीं रही।
प्रिया को कुछ समझ नहीं आ रहा था। "क्या बात है राजेश? तुम और काव्या दोनों ही कुछ परेशान लग रहे हो।"
"कुछ नहीं प्रिया, बस ऑफिस का काम थोड़ा ज्यादा है।" राजेश ने बहाना बनाया।
एक दिन काव्या ने प्रिया से कहा, "दीदी, मुझे मुंबई में एक अच्छी job मिल गई है। मैं अगले हफ्ते जा रही हूं।"
"अचानक? तूने तो बताया भी नहीं कि तू मुंबई में भी apply कर रही थी।" प्रिया हैरान थी।
"बस अचानक एक दोस्त ने बताया तो मैंने सोचा try कर लेती हूं। और मुझे select कर लिया।"
राजेश चुप रहा।
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